Sunday, November 21, 2010

गुरु नानक जयंती ..by Madhu Bhai Ramdeo . as flashed on f.b. on Nov.21,2010

.***** गुरु नानक जयंती ..*******

.by Madhu Bhai Ramdeo on Sunday, November 21, 2010 

गुरु नानक जयंती की हार्दिक बधाई ...""""""""""""""""""""""""''वाहेगुरु जी का खालसा वाहेगुरु जी की फते'' """"""""""""""""""""" सिख धर्म के पहले गुरु व् संस्थापक गुरु नानक देव जी के जन्म दिन की वर्षगाठ पुरे देश में बड़े उत्साह और भाव से हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा को को पुरे देश में बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। गुरुपर्व को गुरु नानक जयंती भी कहा जाता है। गुरु नानक जी का जन्म सन १४६९ को तलवंडी (जो अब लाहोर पाकिस्तान में स्थित है और ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है ) में हुआ था। वहा अब एक बहुत खुबसूरत गुरुद्वारा व सरोवर है, इस पावन उत्सव में भारत व विदेश से लाखो संगत माथा टेकने व इसनान करने पहुचती है। गुरुपर्व को यहा बहुत बड़े मेले का आयोजन होता है। इस दिन से कुछ दिन पूर्व पुरे देश में जगह-जगह प्रभात फेरी निकाली जाती है। लाखो की संख्या में संगत बड़े श्रधा व भाव से शब्द गाते हुए और पुरे नगर का चक्कर लगाते हुए गुरूद्वारे पहुचती है, गुरु ग्रन्थ साहिबजी को पालकी में विराजमान करवाकर पञ्च प्यारो सहित नगर कीर्तन का आयोजन किया जाता है। जगह- जगह पंडाल लगाये जाते है और प्रसाद बांटा जाता है। गुरु ग्रन्थ साहिब (सिखों की धार्मिक पुस्तक ) का पाठ (अखंड पाठ ) किया जाता है। गुरु नानक देव जी ने कभी उच्च नीच का भेद भाव नही किया। उन्होंने सिखाया की सभी प्राणी भगवान के बन्दे है। धर्म के नाम पर भेद-भाव करना व्यर्थ है। इसलिए गुरु नानक जयंती पर बहुत बड़े लंगर का आयोजन होता है, जहा सभी लोग- हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, राजा, रंक एक ही पंक्ति में बैठ कर लंगर छकते (खाते ) है। अमृतसर गुरूद्वारे में गुरुपर्व का अलग ही नजारा होता है। इस दिन लोग रात को मोमबती व दीयो से गुरूद्वारे व अपने घरो में प्रकाश करते है। गुरु नानक देव जी ने कहा है की परिवार का त्याग करके सन्यासी बनने से प्रभु की बंदगी नही की जाती। अगर प्रभु को पाना हैं तो मन पवित्र,सहानुभूति,धेर्य, ईमानदारी होनी चाहिए। गुरु नानक जी ने कहा है कि अगर कोई सच्चे दिल से पाठ करके अरदास करता है तो वाहेगुरु खुद आकर उसके सभी काम सवारते है। """"""""""""""""संता दे कारज आप खलोया सब कम करवान आया राम" """""""""""""""इस गुरुपर्व पर वाहेगुरु के आगे ये अरदास है कि अपने सभी भग्तो की अच्छी मनोकामना पूरी करे।
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Share: You, Dr. Rajeev Shrivastava, Nirupama Varma, Rajni Kanth and 2 others like this..

Bishwa Nath Singh:
It's good write-up. Did you go through my write-up on floral tribute to Guru Nanak Dev Ji that was flashed this morning on my Profile Page? If not, kindly go through them. It was he who had established Sikhism. He was indeed a Prophet who had shown the world a ray of hope as how to be universally accepted loved Let us join to pay our humble obeisances to His lotus feet and seek His bliss for well-being of all living-being of this universe!
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Madhu Bhai Ramdeo :
THANX BISHWA NITH SINGH JI..

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f.b.
Nov.21,2010

 

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