.by Kailash Mani Tripathi on Sunday, November 14, 2010 at 10:07pm.तुम्हारे पैर सीधे नहीं हैं
तुम्हारी आँखों से दिखता कुछ नहीं
तुम बहुत बूढ़ी हो चुकी हो
तुम्हारे हाँथ-पैर कटे हुए हैं
फिर भी
तुम सभी भीख नहीं मांगते ?
हाँ ,
हम सभी भीख नहीं मांगते
क्योंकि
हमारे हाँथ-पैर काटे नहीं गए
हमारी आँखे फोड़ी नहीं गयीं
मै बूढ़ी हूँ ,
फिर भी भीख नहीं मांगती
क्यूंकि बेबसी में मै छोड़ी नहीं गयी
असल में
जिन्हें तुम भीख मांगते
देखते हो
वे किसी व्यापारी के
कच्चे माल भर हैं
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Comment:
Bishwa Nath Singh It's a wonderful composition with very meaningful thought worth emulating in one's life.One should be contended with what he/she possesses instead of hankering more and looking towards others to help.
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f.b.
Nov.15,2010
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