Tuesday, November 9, 2010

Can pace-maker be re-used? The question raised by Madhu along with comments as flashed on the f.b of Nov.9,2010.

Bishwa Nath Singh :
As I am not a technical expert on this count, so it won’t be proper to comment anything abruptly save & except appreciating great feelings of my esteemed friend .Let there be a full debate on it and all those heart specialist who could easily be persuaded join the issue to ascertain their view points from medical... point of views! There are few doctors who are our friends on the f.b are hereby urged very sincerely to pilot the subject and raise this issue on most of their national & international seminars to arrive at correct findings so that the same could be implemented which may prove beneficial to those poor heart patients who can't afford to pay price for fresh pass maker.
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***पेसमेकर का भी होगा दोबारा इस्तेमाल***

दुनिया में दिल के ऐसे लाखों मरीज हैं जो अपनी जान बचाने के लिये पेसमेकर लगाने का सार्मथ्य नहीं रखते और इस कारण वे काल के ग्रास बन जाते हैं। लेकिन अब निर्धन लोग भी इस्तेमाल किये हुये पेसमेकर लगवा कर अपनी जान बचा सकते है। यूनिवर्सिटी ऑफ मिषिगन कार्डियोवैस्कुलर सेंटर के विशेषज्ञों ने ऐसी विधि.विकसित की है जिसकी मदद से दान दिये गये पेसमेकरों का इस्तेमाल अन्य मरीजों पर हो सकता है। ये विशेषज्ञ ऐसे पेसमेकरों की वैधता और कारगरता की जांच करने के बाद उसे विसंक्रमित कर दोबारा इस्तेमाल के लिए दुनिया भर में भेजने की योजना बना रहे हैं। यही नहीं अमरीका के कई मरीजों ने मत्यु के बाद अपना पेसमेकर दान देने की इच्छा जाहिर की है।विशेषज्ञों ने पेसमेकर के दोबारा इस्तेमाल को सुरक्षित और कारगर पाया है। हालांकि इन पेसमेकरों के साथ संक्रमण का थोडा जोखिम होता है। जिस तरह से नये पेसमेकर के साथ लोग अच्छी जिंदगी जीते हैं उसी तरह दोबारा इस्तेमाल में लाये गये पेसमेकर भी रोगी का ताउम्र साथ निभायेंगे।कार्डियोवैस्कुलर बीमारी के इलाज के लिए यह एक प्रशंसनीय प्रयास है जो विश्व में मौत का सबसे प्रमुख कारण है। इस अध्ययन के प्रमुख, यूनिवर्सिटी ऑफ मिषिगन कार्डियोवैस्कुलर सेंटर के निदेशक और कार्डियोलॉजिस्ट डा. किम ए. ईगल कहते हैं, ‘‘वैध पेसमेकर के दोबारा इस्तेमाल के इस कार्यक्रम से न सिर्फ बेकार पेसमेकर का इस्तेमाल हो सकेगा बल्कि इससे दुनिया में कई लोगों को नया जीवन मिल सकेगा।’’ दुनिया भर में पेसमेकर के अभाव में हर साल 10 से 20 लाख लोगों की मृत्यु हो जाती है। लेकिन यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के इस सर्वेक्षण में शामिल 84 प्रतिशत रोगियों ने अपने पेसमेकर के दोबारा इस्तेमाल के लिए इसके दान देने की बात कही है। इस तरह इस साझेदारी से वैसे लोगों के लिए जो पेसमेकर के खर्च को वहन नहीं कर सकते है, उनके लिए यह रिसाइकिल पेसमेकर एक जीवन रक्षक उपाय साबित होगा। पेसमेकर का प्रत्यारोपण हृदय की धीमी धड़कन को सही करने के लिए किया जाता है। हृदय की धीमी धड़कन का कारण दिल का दौरा, कंडक्टिव रोग या बुढ़ापा हो सकता है। इससे रोगी को बेहोशी आ सकती है और थकान रह सकती है। हालांकि कुछ विदेशी निर्माताओं ने पेसमेकर के खर्च को कम कर 800 डालर तक कर दिया है ताकि गरीब देशों के लोग भी इसके खर्च को वहन कर सकें। ईगल कहते हैं कि पेसमेकर का खर्च करने के बावजूद इसका खर्च अविकसित देशों के औसत नागरिकों की सालाना आय से भी अक्सर अधिक होता है। इसलिए गरीब देश इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी तकनीक को वहन करने में सक्षम नहीं होते हैं जबकि औद्योगिक देशों में कार्डियेक मृत्यु को कम करने का यह बेहतर उपाय है। हालांकि विश्व में हृदय रोग की दर में वृद्धि में अस्वस्थ जीवन शैली के साथ हीसंक्रामक बीमारियों का प्रमुख योगदान है।हाल के दशकों में, औद्योगिक देशों में दिल के दौरों और स्ट्रोक के कारण होने वाली मृत्यु में गिरावट देखी गयी है लेकिन निम्न और मध्यम आय वाले देषों में कार्डियोवैस्कुलर बीमारी ने एक महामारी का रूप अख्तियार कर लिया है।उदाहरण के लिए दक्षिण अमरीका और मध्य अमरीका में, परजीवी संक्रमण चागा रोग हृदय के कार्य को बाधित कर सकता है। चागा दो करोड़ लोगों को प्रभावित कर सकता है और एक अध्ययन मंे पाया गया है कि ब्राजील में पेसमेकर का इस्तेमाल करने वालों में 72 प्रतिशत लोग अपनी जिंदगी में कुछ हद तक इससे संक्रमित रह चुके हैं।शव को दफनाने या जलाने से पहले इसे निर्माताओं को कभी-कभार ही वापस किया जाता है या अंतिम संस्कार घरों में जमा किया जाता है।


By:Madhu
 
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Bishwa Nath Singh:
I urge all Doctors friend of mine to kindly go through it and do the needful at your earliest.
 
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f.b.
Nov.9,2010.

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